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पुस्तक समीक्षा - वाणभट्ट की आत्मकथा

बाणभट्ट की आत्मकथा - समीक्षा

  श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हिंदी साहित्य के चर्चित लेखक और समीक्षक, आलोचक, निबंध लेखक रहे हैं। उनका निबंध कुटुज हिंदी के पाठ्यक्रम में पढा था। किस तरह कुटुज के माध्यम से द्विवेदी जी ने जीवन का गहन संदेश दिया था - यह एक गहन विचार का विषय है।

  पुस्तकों के पठन के क्रम में मैंने हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा लिखित उपन्यास 'वाणभट्ट की आत्मकथा' को मंगाया। वास्तव में इस उपन्यास का स्रोत संस्कृत के प्रसिद्ध गद्य रचनाकार बाणभट्ट द्वारा लिखित खुद का वर्णन और उस वर्णन पर आष्ट्रिया निवासी एक बुजुर्ग महिला जिन्हें द्विवेदी जी दीदी कहकर बुलाते था, द्वारा किया शोध ही है। द्विवेदी जी भूमिका में लिखते हैं कि दीदी ने उन्हें अपना शोध सुधार हेतु और टाइप कराने के दिया था। परिस्थितियां ऐसी बनीं कि द्विवेदी जी टाइप करा नहीं पाये और दीदी बिना बताये ही चली गयीं। बाद में पता चला कि वह आष्ट्रिया चली गयी हैं।

  मुझे लगता है कि उक्त संक्षिप्त शोध के बाद साहित्य के समीक्षक हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने नजरिये से विस्तृत शोध किया होगा। तथा उस शोध का परिणाम उपन्यास 'बाणभट्ट की आत्मकथा' रहा होगा।

  भूमिका में यह भी बताया गया है कि इसे प्रकाशित करने से पूर्व हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने दीदी से अनुमति प्राप्त की थी।

  इस उपन्यास के विषय में जानने से पूर्व बाणभट्ट जी के विषय में जानना अति आवश्यक है। बाणभट्ट जी एक प्रख्यात संस्कृत लेखक हैं। वह हर्षवर्धन जी के समकालीन थे। तथा महाराज हर्ष ने उन्हें अपने दरवार में स्थान दिया था।

  बाणभट्ट जी की प्रसिद्धि काव्य रचनाओं की तुलना में गद्य साहित्य से अधिक है। उनके द्वारा लिखा चंडी शतक पद्म साहित्य है। तो हर्ष चरित एवं कादंबरी गद्य साहित्य है ।उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना कादंबरी है जो कि अपूर्ण रह गयी थी। कादंबरी पूर्णतः काल्पनिक कथानक पर लिखा संस्कृत उपन्यास है। कादंबरी को बाणभट्ट के पुत्र भूषण भट्ट ने पूरा किया था।

  संस्कृत साहित्य में बाणभट्ट की महत्ता को समझने के लिये इतना ही कहा जा सकता है कि उन्हें द्वितीय कालिदास अथवा गद्य का कालिदास कहा जाता है। बाणभट्ट के वर्णन अद्वितीय हैं। उनकी उपमाएं लाजबाब हैं। मानसिक चित्रण में वह सिद्धहस्त हैं। उनकी लेखनी में अलग ही माधुर्य है। और प्रगति चित्रण की बात की जाये तो बहुत कम ही रचनाकार उनके निकट ठहरेंगे। तथा कल्पना की बात की जाये तो कादंबरी पूरी तरह काल्पनिक है। विभिन्न घटनाएं जो कि एक दूसरे से पूरी तरह अलग लगती हैं, एक दूसरे से बड़ी कलात्मक तरीके से जुड़ती जाती हैं।

  वैसे संस्कृत साहित्य के अधिकांश रचनाकारों ने खुद के विषय में बहुत कम लिखा है। ज्यादातर के विषय में जो भी पता चलता है, किंवदंतियों से ही पता चलता है। महाकवि कालिदास के विषय में तो कितने ही मत व्याप्त हैं। उन्हें विक्रमादित्य का दरवारी कवि भी माना जाता है तो राजा भोज का दरवारी कवि भी कहा जाता है। कुछ लोग अग्निमित्र को उनका आश्रयदाता कहते हैं। विक्रमादित्य के विषय में भी अलग अलग मत हैं।

  पर बाणभट्ट के विषय में ऐसा नहीं है। उन्होंने खुद के विषय में भी लिखा है। तथा उनका राजा हर्षवर्धन से संबंध निर्विवाद है।

  महाराज हर्षवर्धन के विषय में बताया जाता है कि उनका लगभग पूरे उत्तर भारत में अधिकार था। दक्षिण भारत में पुलकेशन द्वितीय के कारण वह अधिकार नहीं कर पाये थे। इस तरह हर्ष - गुप्त वंश के राजाओं की तुलना में कुछ कमजोर राजा माने जा सकते हैं। पर अपने काल के वह सबसे अधिक शक्तिशाली राजा थे। वह बोद्ध धर्म के अनुयायी थे। उनकी बहन का नाम राज्यश्री था।

  बाणभट्ट की आत्मकथा में बाण के लेखकीय कौशल के अलावा उनके व्यक्तिगत जीवन और विचारों का अधिक परिचय दिया गया है। किस तरह पुराने नाटकों का मंचन करने बाला वात्स्यायन कुलीन ब्राह्मण अपनी नटी निपुणिका के कहने पर छोटे राजा के अंतपुर में उनकी इच्छा के प्रतिकूल वंदिनी की भांति रखी राजकन्या को चतुराई से अंतपुर से बाहर निकाल लाता है। राजकन्या भट्टिनी की सुरक्षा के क्रम में कथानक आत्मकथात्मक शैली में आगे बढता है। विभिन्न मतों का आपसी टकराव का चित्रण है। महाराज हर्ष द्वारा अपनी बहन के रिश्तेदार छोटे राजा जो कि एक कामी सामंत है को प्रश्रय देने की मजबूरी अथवा छूट का विशेष उल्लेख है। हालांकि महाराज के भतीजे कुमार वर्धन द्वारा विशेष सहायता का उल्लेख है।

  कथानक राजनीति की कठोर चालों से गुजरता है। गुप्त वंश के समर्थकों द्वारा हर्ष का विरोध प्रत्यक्ष दिखाई देता है। कुमार वर्धन द्वारा चतुराई से बाण को हर्ष के दरवार में जगह दिलाने का मुख्य कारण भट्टिनी को अपने समर्थन में लेकर प्रजा में अपना विश्वास फैलाना ही अधिक प्रतीत होता है। राजनीति के गलियारों में बाण चतुराई से अपना कर्तव्य निर्धारित करते हैं। कब विरोध करना है और कब अनुकूल होना है, यह एक गहन विषय है। भट्टिनी और निपुणिका को हर्ष पर अधिक विश्वास नहीं है, ऐसा लगता है। बाण हर विधि से भट्टिनी की रक्षा करते हैं, जिसमें विरोध और चाटुकारिता दोनों ही तरह के अस्त्र हैं। निपुणिका के मन में वाण के प्रति असीम प्रेम का परिचय मिलता है। राज्यश्री की सौत महादेवी जिन्होंने सन्यास ले लिया है, की कहानी का भी परिचय मिलता है। और भी कई आख्यान एक दूसरे से जुड़ते जाते हैं।

  कथानक के अंत तक भट्टिनी महाराज हर्ष की भगिनी की भांति पर एक स्वतंत्र रानी की भांति जीवन यापन करती दिखाई जाती है। इस व्यवस्था में हर्ष, भट्टिनी और खुद बाण की कूटनीतिक विजय छिपी है।

  उपन्यास की भूमिका की तरह ही इस उपन्यास का उपसंहार भी बड़ा महत्वपूर्ण है। उपसंहार में हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का समीक्षक और आलोचक का रूप दृष्टिगोचर होता है। इस आत्मकथा की शैली की कादंबरी की शैली से कितना साम्य है और कितना अंतर, इसपर गंभीर विचार व्यक्त किया गया है। अंत में जीजी के पत्र के माध्यम से यही संदेश देना का प्रयास किया है कि संभावना है कि बाण के समकालीन किसी अन्य दृष्टा ने बाण की जीवनी को लिपिबद्ध किया हो। बाण एक भी हो सकते हैं अथवा अनेक भी।

  मुझे समीक्षा लिखने का अधिक अनुभव नहीं है। द्विवेदी जी महान आलोचक रहे हैं। शिल्पी की जरा सी समता और विषमता उनका ध्यान आकर्षित करती है।

  एक लेखक होने के नाते तथा व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि एक लेखक की शैली में भी क्रमिक बदलाव संभव है। एक लेखक की दो रचनाओं के लिखने के तरीके में कुछ न कुछ बदलाव मिला है। जयशंकर प्रसाद जी की कहानियों की शैली अलग है पर ग्रामीण पृष्ठभूमि पर लिखी तितली उपन्यास में कुछ झलक मुंशी प्रेमचंद्र जी की मिलने लगती है - खासकर वर्णन के विषय में। प्रेमचंद जी की कुछ आरंभिक रचनाएं उनकी लिखी लगती ही नहीं है तो गोदान के समक्ष उन्हीं की दूसरी रचनाएं अलग सी लगती हैं।कालिदास जी जो रचनात्मकता का जादू अभिज्ञान शाकुंतलम में बखेरते हैं, वह मालविकाग्नमित्रम् में नहीं है। मेघदूतम् में उनके प्रेम का चित्रण उन्हीं के दूसरे काव्यों की तुलना में बहुत अधिक विस्तृत है। मेरा खुद का व्यक्तिगत अनुभव है कि मेरे लेखन के तरीके में भी बदलाव होता रहा है।

  मेरे अनुरोध बाणभट्ट की आत्मकथा अति उत्कृष्ट साहित्य है ।तथा साहित्य में रुचि रखने बाले सभी लेखकों को इसे अवश्य पढना चाहिये।


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7 Comments

kashish

24-Sep-2023 12:12 PM

Good information for readers

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madhura

24-Sep-2023 11:59 AM

Useful information and good information

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Anjali korde

17-Sep-2023 10:46 AM

V nice

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